भाषा एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा हम मनुष्य अपने विचार को शब्दों और व्याकरण के साथ परिचित करा सकते हैं और इसके माध्यम से दूसरे व्यक्ति की मनोदशा को भी समझा जा सकता है, भाषा का उपयोग इंसानों की ध्वानी संकेतों के साथ की जाती हैं।
भारत के साथ प्रतेक देश की अपनी एक या उससे अधिक भाषाएं होती है जिससे उस देश की संस्कृति और जीवन का व्यवस्थित आदि के बारे में पता चलता हैं। आज हम आपलोगो के साथ Bhasha Kise Kahate Hain और इससे जुड़ी अन्य जानकारी जैसे भाषा के भेद व उदाहरण इत्यादि सम्पूर्ण जानकारी शेयर करेंगे।
भाषा किसे कहते है (Bhasha Kise Kahate Hain)
भाषा किसे कहते है? | भाषा संवाद का साधन हैं। |
भाषा कितने है? | 6809 |
प्रकार | 3 |
भाषा एक ऐसा साधन है, जिसके प्रयोग से हम अपने मन के विचारों को दूसरों के साथ आदान-प्रदान कर सकते हैं, लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि इसका प्रयोग हम बोलकर, पढ़कर, सुनकर और लिखकर कर सकते हैं। अब आप समझ गए होंगे कि भाषा उसे कहते हैं जिसके माध्यम से हम लिखित रूप में या किसी अन्य तरीके से दूसरों के साथ अपनी भावनाओं का लेन-देन कर सकते हैं।
आप लोगों से एक सवाल पूछना चाहता हूं कि क्या आपने कभी ऐसी स्थिति का सामना किया है जिसमें आपको बिना बोले केवल इशारों में किसी को अपनी बात समझानी पड़ी हो। अगर कभी ऐसा हुआ है तो वाकई आपके लिए बहुत मुश्किल काम रहा होगा, ऐसी मुश्किलों का सामना हमारे पुरखों ने हमेशा किया था। जब आदि मानव जंगल में रहा करते थे और उन्होंने अपने विचारों को समझाना और समझाना नहीं सीखे थे।
उन्हें अपनी भावनाओं को केवल संकेतों के जरिए ही समझाना पड़ता था, उस वक्त यह बहुत मुश्किल था। इसी कठिनाई को दूर करने के लिए मुख से निकलने वाली ध्वनियों को मिलाने का प्रयास किया गया है और यह प्रयास मानव के लिए भाषा के रूप में एक बड़ा वरदान सिद्ध हुआ है, हम हमेशा शब्दों से बनी भाषा का ही प्रयोग करते हैं। भाषा के विकास में बहुत से लोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है और बात करें कि पूरी दुनिया में ऐसी कितनी भाषाएं हैं, जिनका उपयोग मनुष्य करते हैं, तो ठीक-ठीक जानकारी बता पाना मुश्किल है, लेकिन इंटरनेट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 6809 भाषाएँ बताई जाती हैं। जो विश्व के विभिन्न स्थानों में बोली जाती हैं।
भाषा के प्रकार कितने होते है?
मुख्य रूप से भाषा के 3 प्रकार होते हैं, इन तीन प्रकार की भाषा के बारे में जानकारी नीचे दी जा रही है-
1# मौखिक भाषा (Oral Language)
मौखिक भाषा बहुत प्राचीन है, जो हमारे समाज में सदियों से चली आ रही है, वास्तव में मौखिक भाषा उन भाषाओं की सूची में आती है, जिनके माध्यम से हम अपने दिल और दिमाग में चल रही बातों को दूसरों के सामने रखते हैं।
जब हम किसी से फोन पर बात करते हैं तो इस प्रक्रिया में हम एक-दूसरे को अपनी बातें बता रहे होते हैं, शब्दों के माध्यम से एक-दूसरे को समझाने की कोशिश करते हैं, यह मौखिक भाषा की सूची में शामिल है।
इसका एक और उदाहरण लेते हैं, हम सभी टीवी देखते हैं, टीवी के बजाय मोबाइल फोन भी ले सकते हैं। टीवी पर व्यक्ति जो बोलता है उसे सुन सकते हैं, तो यह मौखिक भाषा ही है और मौखिक भाषा वही कहलाती है जिसके तहत हम अपने विचारों को एक-दूसरे के साथ व्यक्त करते हैं।
2# सांकेतिक भाषा (Symbolic / Indicative Language)
सांकेतिक भाषा तब कहलाती है जब हम किसी के सामने अपनी भावनाओं या विचारों को सांकेतिक रूप से व्यक्त करते हैं। संकेत का अर्थ जैसे हाथ के इशारे से बस को रोकना, गर्दन हिलाकर अपने विचार व्यक्त करना, ये सभी सांकेतिक भाषा कहलाती हैं।
इस तरह के भाषा का इस्तेमाल वो लोग करते है जो मूक बधिर होते हैं, मूक बधिर का अर्थ गूंगे, बहगे और अंधे होते हैं। जो मूब बधिर बच्चों होते हैं उन्हें अलग अलग प्रकार के प्रशिक्षित किया जाता है जिनमें से एक सांकेतिक भाषा भी शामिल हैं परंतु इस भाषा में एक ही इशारों का कई अर्थ निकलता हैं जिसे समझना क़ठिन हो जाता है इस कठिनाइयों को हल करने के लिए कई विशेषज्ञों ने सांकेतिक भाषओं के ऊपर किताबें लिखी हैं।
मौखिक भाषाओं में सांकेतिक भाषा मिश्रण होते हैं इसका एक उदाहरण हमने बस को रोकने पर दे दिया हैं। सांकेतिक भाषा का एक और उदाहरण लिया जाए तो सर को हिलाकर हां या ना बताना, अगर बात करें इस भाषा का विकास की तो उसकी विकास साहित्य से हुआ हैं।
3# लिखित भाषा (Written Language)
लिखित भाषा उसे कहते हैं जब हम किसी को अपने दिल और दिमाग की बातें लिखकर बताते हैं। जैसे आपने कोई किताब पढ़ी होगी। पुस्तक में लेखक अपने मन के विचारों को जन-जन तक पहुँचाता है, उसे लिखित भाषा कहते हैं।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण चिट्ठी है, आज भले ही चिट्ठी का प्रयोग पहले की तुलना में कम हो गया हो, लेकिन चिट्ठी भी एक लिखित भाषा है क्योंकि चिट्ठी के माध्यम से हम बिना बोले ही दूसरों के सामने अपनी बात रख सकते हैं।
कहानी, समाचार, स्कूल के लिए नोटबुक, किसी व्यक्ति को पत्र लिखना, व्हाट्सएप पर संदेश भेजना, किताब लिखना और डायरी लिखना आदि, ये सभी लिखित भाषा के अंतर्गत आते हैं। आप लिखित भाषा के माध्यम से अपने शब्दों का आदान-प्रदान कर सकते हैं।
व्याकरण क्या है?
व्याकरण उसे कहते हैं जिसके द्वारा हम शुद्ध बोलना, लिखना, समझना सीख सकें, लेकिन ध्यान रहे कि व्याकरण विभिन्न भाषाओं का होता है। हिन्दी व्याकरण की बात करें तो यह एक ऐसा शास्त्र है जिससे हिन्दी लिखना या बोलना सीखा जा सकता है।
भाषा का महत्व
भाषा का प्रयोग हम मनुष्य ही करते हैं, यह संचार की एक प्रक्रिया है जो मनुष्य द्वारा अपनी भावनाओं को एक दूसरे तक पहुँचाने के लिए की जाती है। भाषा के माध्यम से वर्तमान, भूत और भविष्य को भी संप्रेषित किया जा सकता है।
जिससे पता चलता है कि भाषा का प्रयोग हम मनुष्यों के लिए कितना महत्वपूर्ण है। वर्तमान समय में कई नई खोजें और आविष्कार हो रहे हैं जो मानव जीवन को सरल और सुविधाजनक बना सकते हैं और उनके लिए एक दूसरे के विचारों को समझना महत्वपूर्ण है।
भाषा का उपयोग समुदाय और संस्कृति की निरंतरता को बनाए रखने के लिए भी किया जाता है, साथ ही इसके माध्यम से हमें अपने पूर्वजों के अनुभवों के बारे में भी जानकारी मिलती है। यदि हमारे दैनिक जीवन में कोई समस्या आती है तो भाषा के प्रयोग से उसका समाधान खोजा जा सकता है तथा भाषा विविधता, व्यापारिक एवं सामाजिक सम्बन्धों की स्थापना भी इसके माध्यम से सम्भव है। इसके अलावा इसके जरिए हम अपने ज्ञान का आदान-प्रदान भी कर सकते हैं।
बोली और भाषा में क्या है अंतर?
बोली और भाषा के बीच निम्नलिखित अंतर हैं; भाषा के मौखिक और लिखित रूप होते हैं, लेकिन एक छोटे से क्षेत्र में बोली जाने वाली बोली होती है, जो अपने क्षेत्र तक सीमित होती है-
बोली: इसके अंतर्गत एक बोली में कई भाषाओं का मिश्रन होते हैं जैसे अंग्रेजी भाषा में ब्रिटिश अंग्रजी, अमेरिकन अंग्रेजी और ऑस्ट्रेलिया अंग्रजी आदि शामिल होते है। बोली किसी विशिष्ट समुदाय के लोगो द्वारा समझी जाने वाली भाषा होती है क्योकि भाषा एक निश्चित शब्दों का समूह के रूप में नही होता है जोकि उस क्षेत्र में उपयोग किए जाने वाले वाक्यों एवं अभिव्यक्तियों के समूह के रूप में होते हैं। इसके अलावा इसमें साहित्यिक रचनाएं कम होती हैं।
भाषा: यदि आप भाषा के विभिन्न माध्यमों जैसे टेक्स्ट संदेश और ईमेल आदि का उपयोग करके किसी अजनबी से संवाद करते हैं तो यह भाषा का एक उदाहरण होगा। मुझे उमीद है की आज आपका दिन अच्छा बिता होगा। यह इसका एक उदाहरण हैं। भाषा का प्रयोग साहित्यक रचनाएँ, विस्तृत, राजकार्य इसके अलावा मौखिक और लिखित रूप में भी किया जाता हैं।
भाषा की प्रकृति
भाषा के अपने गुण को भाषा की प्रकृति कहा जाता है जो सागर की तरह सदा से बहती रहती है। बता दें कि प्रतेक भाषा की अपनी प्रकृति गुण-अवगुण होते है। भाषा का कोई अंतिम रूप नही होता है सामाजिक सापेक्ष होते हुए भी यह विकास के ओर सदैव अग्रसर रहता है। भाषा से वाक्यो का निर्माण होती है और वाक्य शब्दों से, जबकि शब्द मूल ध्वनियों से बनती हैं।
भाषा और लिपि
लीपन या पोतना विचारों का लीपना या फिर लिखना लिपि कहलाती है। यदि हिंदी और संस्कृत भाषा की लिपि की बात करें तो इसकी लिपि देवनागरी होती है जबकि इंश्लिश भाषा की लिपि रोमन और पंजाब भाषा की लिपि गुरूमुखी हैं।
लिपि का अर्थ है लेखन प्रणाली जिसे हम किसी भाषा की लिखावट या लेखन शैली कह सकते हैं। लिपि का प्रयोग तब किया जाता है जब हम ध्वनियों को लिखते हैं। मतलब यह कि ध्यवनियों को लिखने कि लिए हम जिन चिन्हों का इस्तेमाल करते है दरअसल वह लिपि कहलाती हैं।
प्रश्न और उत्तर – FAQs
भाषा किसे कहते हैं और भाषा के कितने भेद होते हैं?
हम अपनी मन की भावों को किसी से सामने प्रकट कर सकते है उसे भाषा कहते है और इसके तीन भेद होते हैं। , और लिखित भाषा
भाषा के 3 प्रकार कौन से हैं?
मौखिक भाषा, लिखित भाषा और सांकेतिक भाषा मिलाकर कुल 3 प्रकार होते हैं।
दुनिया की नंबर वन भाषा कौन सी है?
दुनिया में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा अंग्रेजी है जो 1.452 अरब लोगों द्वारा बोली जाती है और उसके बाद 1.118 अरब मंदारिन चाइनिस है।
भाषा और साहित्य
भाषा और साहित्य का गहरा संबंध है और भाषाओं के संग्रह को साहित्य कहते हैं। सभी भाषाओं के अपने-अपने ग्रंथ और साहित्य हैं जो साहित्य में प्रयुक्त होने वाली भाषा की विकसित अवस्था का विस्तृत विवरण देते हैं।
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